Thursday 2 January 2014

कुछ नया कर के दिखायें..

कुछ नया कर के दिखायें..
                 कुछ नया कर के दिखायें..

हम नये तुम भी नये , ये सिलसिले नये ;
        आया है नया साल और ये काफिले नये;
उन पुराने से गिले सिकवो को आओ भूल जायें,

        कुछ नया कर के दिखायें..
                 कुछ नया कर के दिखायें..

गिर गिर के संभाला है कभी स्थिर वही संसार मे ;
    ना कभी विचलित हुआ जो एक अदद सी हार में 
मैं महज इंसान हूँ , गलती नियति मेरी  रही है; 
    आओ अपनी गलतियो से आज हम कुछ सीख जायें 


कुछ नया कर के दिखायें..
                 कुछ नया कर के दिखायें..

     जीवन कभी तो हार या फिर जीत का संगम रहा ; 
ये कभी महफिल या फिर तन्हाई का आलम रहा ;
क्या हुआ हासिल हमे जो कभी आंसू बहाये ,
 आओ हर पल आज से हम मुस्कुराना सीख जायें

कुछ नया कर के दिखायें..
                 कुछ नया कर के दिखायें..

कह रहा इतिहास तोड़ी भ्रांतियाँ भी हैं किसी ने ;
  जो लड़ा डटकर अडिग, मोड़ी हैं हवायें भी उसी ने; 
तुम ना फूलो से कहो कि,
              मुस्कुराकर तुमको देखें ;
तुम ना कलियों से कहो कि,
              आकर तेरे पथ मे लेटें;
    तुम अलग हो जन्म से,
                क्यो कर भला चुपचाप बैठे ; 
क्यो भला संभावनायें ,
               इस कदर खुद मे समेटे ;
  तुम दिखा दो कि तुम्ही से, ये जहा रोशन हुआ है 
तुम दिखा दो ,धैर्य साहस का सदा साहिल हुआ है 
  चीख कर कह दो सभी से देख लो मैं ही "अमित" हूँ;

 आओ अपनी हार का हम जीत से परिचय करायें 

   कुछ नया कर के दिखायें..
                 कुछ नया कर के दिखायें..

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